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जनमत युग न्यूज़ )
ग्वालियर!माधव बाल निकेतन एवं वृद्ध आश्रम में चल रही श्री खाटू श्याम कथा के दूसरे दिन सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित श्री घनश्याम शास्त्री जी खाटू श्याम हारे का सहारा है भक्तों को न्याय देता है इसके दर्शन करने से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं यह हारे हुए को गले लगाता है महाराज ने खाटू श्याम वंश की कथा सुनते हुए बताया कि
ब्रह्मा जी से अत्रि का जन्म हुआ था। इसके बाद अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रदेव से बुध और बुधदेव से इलानंदन पुरुरुवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयु, उसके बाद आयु से राजा नहुष और उसके बाद राजा नहुष से ययाति का जन्म हुआ। ययाति से पुरु का जन्म हुआ, जिनसे पुरु वंश का उदय हुआ था। पुरु के वंश में ही आगे चलकर महान प्रतापी सम्राट राजा भरत का जन्म हुआ। राजा भरत के वंश में ही आगे चलकर राजा कुरु हुए जो महाभारत कथा की नीव माने जाते है पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुन्तला के पुत्र भरत की गणना महाभारत में वर्णित सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। इनका एक नाम ‘सर्वदमन’ भी था क्योंकि इन्होंने बचपन में ही बड़े-बड़े राक्षसों, दानवों और सिंहों का दमन किया था। वे समस्त वन्य तथा पर्वतीय पशुओं को भी सहज ही परास्त कर अपने अधीन कर लेते थे। अपने जीवन काल में उन्होंने यमुना, सरस्वती तथा गंगा के तटों पर क्रमश: सौ, तीन सौ तथा चार सौ अश्वमेध यज्ञ किये थे। प्रवृत्ति से दानशील तथा वीर थे। राज्यपद मिलने पर भरत ने अपने राज्य का विस्तार किया। प्रतिष्ठान पुर के स्थान पर हस्तिनापुर को राजधानी बनाया। भरत का विवाह विदर्भराज की तीन कन्याओं से हुआ था। जिनसे उन्हें नौ पुत्रों की प्राप्ति हुई इस अवसर पर अध्यक्ष पवन भटनागर चेयरमैन नूतन श्रीवास्तव, पी डी सोनी ,हरिओम शर्मा ने खाटू श्याम बाबा की आरती की